Tuesday, August 25, 2009

रचनाकार: जावेद अख़्तर

तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िन्दगी धूप तुम घना साया



आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया



तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया



हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया

रचनाकार: जावेद अख़्तर

तमन्‍ना फिर मचल जाए

अगर तुम मिलने आ जाओ।

यह मौसम ही बदल जाए

अगर तुम मिलने आ जाओ।

मुझे गम है कि मैने जिन्‍दगी में कुछ नहीं पाया

ये गम दिल से निकल जाए

अगर तुम मिलने आ जाओ।

नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे

ज़माना मुझसे जल जाए

अगर तुम मिलने आ जाओ।

ये दुनिया भर के झगड़े घर के किस्‍से काम की बातें

बला हर एक टल जाए

अगर तुम मिलने आ जाओ।

रचनाकार: जावेद अख़्तर (JAVED AKHTAR)

प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालत की आंधी में बिखर जओगी



रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ
ख्वाब क्यूँ देखूँ वो कल जिसपे मैं शर्मिन्दा हूँ
मैं जो शर्मिन्दा हुआ तुम भी तो शरमाओगी



क्यूं मेरे साथ कोइ और परेशान रहे
मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे
ज़िन्दगी का ये सफ़र तुमको तो आसान रहे
हमसफ़र मुझको बनओगी तो पछताओगी



एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने
अभी गूंजेगे मुहब्बत के तराने कितने
ज़िन्दगी तुमको सुनायेगी फ़साने कितने
क्यूं समझती हो मुझे भूल नही पाओगी

रचनाकार: गुलज़ार (GULZAR)

जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है



होंठ चुपचाप बोलते हों जब
सांस कुछ तेज़-तेज़ चलती हो
आंखें जब दे रही हों आवाज़ें
ठंडी आहों में सांस जलती हो



आँख में तैरती हैं तसवीरें
तेरा चेहरा तेरा ख़याल लिए
आईना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए



कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतजार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है



जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है

रचनाकार: गुलज़ार (GULZAR)

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई



आईना देख के तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई



पक गया है शज़र पे फल शायद
फिर से पत्थर उछलता है कोई



फिर नज़र में लहू के छींटे हैं
तुम को शायद मुघालता है कोई



देर से गूँजतें हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई

AMAZING